आचार
क्योकि नारायण ने मेरे इस कदम को अच्छा लगाया इसलिए दूसरा कदम बढ़ाने की कोशिस की ।
प्रेरणा किसी भी रूप में लिया जा सकता है निर्भर करता है की आपकी वृत्ति कैसी है !
सहज -स्वरुप का दर्शन मानव मन विरले ही स्वीकारता है किंतु संवेगात्मक अभिवृत्ति के लिए निरक्षर मन भी तत्पर रहता है ।
प्रेरणा किसी भी रूप में लिया जा सकता है निर्भर करता है की आपकी वृत्ति कैसी है !
सहज -स्वरुप का दर्शन मानव मन विरले ही स्वीकारता है किंतु संवेगात्मक अभिवृत्ति के लिए निरक्षर मन भी तत्पर रहता है ।
Comments